१० नोव्हेंबर, २०१५

!शुभ दीपावली!



                                 तेजोमय दीपज्योत
                                उजळता अंगणात
                                भिजो तिच्या किरणांत
                                अंतर्मन |


                                इवल्या पणती पोटी
                                वात तेवता गोमटी
                                चैतन्याचे मिळो दिठीं
                                वरदान |


                                होता तिमीर काजळी
                                प्रकाशून सोनसळी
                                भरो सौख्याने ओंजळी
                                चिरंतन |



                                || शुभ दीपावली ||



०६ नोव्हेंबर, २०१५

बंदिश

बूँद बूँद जो बरस जात री
रैन भिगोके कारी,
रोम रोम अब तरस जात री
चैन न बिन तेहारी..


घननन गरजत आयी बदरी
रितु बरखा लायी री,
अखियन पी की प्यास लगी री
बीती रतिया सारी..



११ सप्टेंबर, २०१५

बारिश

गाड़ी रुकी हुई है एक जगह पर
मूसलाधार बारिश जो हो रही है..

खिड़की की चौखटसे बाहर गिरती
मोटी मोटीसी बूँदे
जुदाई सही नही जा रही इनसे शायद
बेताबी से गले पड़ रही है ज़मीं के
और बिखर रही है मोतियों की तरह
ये एक मोती गिरा
ये दूसरा
ये तीसरा...

'मोती बिखर चुके है जानू,
धागा तोड़नेका वक़्त आया है'
'इसे कैसे तोड़ू?
इसीने तो जोड़ा था'...

'यही मोती है जानू
जो हमारी जिंदगी सजाएँगे'
'ये कभी टूट गये तो?'
'धागा तो क़ायम है
नये मोती जोड़ देता है'...

'धागा जोड़ देता है नये मोतियों को
कभी तुम्ही ने कहा था'
'सीले धागे खुद कमज़ोर होते है जानू
उनसे जोड़ने की उम्मीदे नही होती'...

कोई बता दो इन बूँदों को
सीली है वो
बेताबी से गले पड़ रही है ज़मीं के
पर बिखर रही है मोतियों की तरह

गाड़ी रुकी हुई है एक जगह पर
मूसलाधार बारिश जो हो रही है..

१० जुलै, २०१५

संध्यारंग




आसमंती रक्तिम्याची ओसरू लागे नशा
सावळीशी शाल घेती पांघराया या दिशा

गर्द हिर्व्या पर्णवेली डोलती वाऱ्यावरी
श्यामवेळी पाखरे येती फिरूनी त्यावरी

नागमोडी वाट रंगे जांभळ्या रंगातुनी
सांडलासे रंग तोची दाट त्या छायांतुनी

दूर सीमा केशराची होऊ लागे शामला
माखु लागे काजळाने पर्वतांची शृंखला

नीलवर्णी त्या जलौघी चांद्रवर्णी झालर
पैलतीरी कातळी, प्राचीन शोभे मंदिर

भंगवी निःशब्दतेला स्वर्णघंटा मंदिरी
पूरियाचे रंग ल्याली कृष्णसंध्यासुंदरी!







१२ जून, २०१५

स्मृती

नभोदरात गर्जती अशांत मेघ सावळे
इथे मनात माझिया तुझ्या स्मृतींचि वादळे!

क्षणात मौक्तिके खुळी विसावली कळ्यांवरी
कसे जुळून येति हे ऋणानुबंध आगळे!

उनाड वात वाहता उरामधून मातिच्या
थरारत्या हवेतुनी तुझाच गंध दर्वळे!

उधाणत्या सरींतुनी तुझे सुहास्य सांडले
भिजून चिंब जाहले तृषीत श्वास कोवळे!

अजाण ऊर्मि अंतरी तुझाच स्पर्श चेतवी
अनाम आर्त भाव हा तुला कळे मला कळे!

तनामनात ही अशी जणू सतार वाजते
तशात रम्य धुंद हा अखंड मेघ कोसळे!


३० मे, २०१५

|| अभंग ||

चित्त होय दंग दंग
सुखे गाय वो अभंग

फुटे टाहो अंग अंग
देवा तुजा लाभो संग

मती स्मृति ऐशा गुंग
देखी तुजे रूप, रंग

अता होवो गा निःसंग
वसो मनी पांडुरंग |


१२ मे, २०१५

Memories

My heart still lives in the reveries
Our time together, etched in my memories...

The time when our lives intertwined
When one was always on the other's mind
The time when we walked hand in hand
Has slipped through my fingers..
It slipped through my fingers like sand...

You touched my life, you touched my soul
I looked up to you, to make me whole
You were the reason of my very being
Now, life goes on...
Life goes on without any meaning...

As I turn & look back at the past
The moments blurred & fading so fast
I try like mad to hold on to them
Without you by my side...
Without you by my side now, it isn't the same...

Sometimes I remember hanging out together
Out on the hill, how we chatted in leisure
A flame of hope then burns inside me
And I refuse to accept...
I refuse to accept that it's not meant to be...

My heart still lives in the reveries
Our time together, etched in my memories...

१६ एप्रिल, २०१५

टक्कर दे!

डरे, भेदरे, उगा थरथरे का शूरांचे अंतर रे?
टक्कर दे तू आयुष्याला पाय रोवूनि खंबीर रे!

का माघारी येसि परतून का नमते तू घेसि असा
जाण लढाई अस्तित्वाची टाकु नको धैर्याचा वसा
देवपणा ये दगडालाही घाव सोसता अविरत रे!
टक्कर दे तू आयुष्याला पाय रोवूनि खंबीर रे!

घेउनि जळती मशाल हाती अज्ञाताच्या वाटा तुडवी
अंधपांगळा भले जरीहि जो तो अपुले जीवन घड्वी
कुणा ना चुकली संसारी या  संघर्षाची ज्वाला रे!
टक्कर दे तू आयुष्याला पाय रोवूनि खंबीर रे!

कशास सीमा क्षितिजापाशी? नक्षत्रांचा ध्यास हवा
दीप आशेचा उरी तेवता जन्माला ये अर्थ नवा
स्वप्न तेच साकार होई जे जागृत नयनी वसते रे!
टक्कर दे तू आयुष्याला पाय रोवूनि खंबीर रे!


०९ मार्च, २०१५

दाटून येई..


दाटून येई अंधार
गहिरा हो आसमंत
ते झेलत टपोरबिंदु
डुलतो हळू प्राजक्त..

या वेड्या काजळवेळी
तव आठवणींचे पूर
पानांतुन ओल्या झरती
गर्भिचे अव्यक्त सूर..

क्षितिजाशी तेवे माझ्या
अंधूक एकटा तारा
आभास तिथे निळसर
अन् इकडे संततधारा..

पडद्याशी जळते ज्योत
पडद्यापलीकडे पाणी
फुलांतून प्राजक्ताच्या
नादतात सर्द विराणी..

पाऊस तिन्हीसांजेला
असाच बरसत राही
मातीत उमटती रेषा
अन् शुभ्रकेशरी काही!


०६ मार्च, २०१५

जाने क्यूँ

जाने क्यूँ ऐसा लगता है..
               तू है कही आसपास
               तू भी करे मेरी तलाश
               मेरी सूनी आँखोंकी प्यास
               बुझाए तेरी बस एक साँस
          मेरे करीब आकर, मुझे गले लगाकर
जाने क्यूँ ऐसा लगता है..

जाने क्यूँ ऐसा होता है..
               के गुनगुनाए रात
               लिए तारोँकी सौगात
               धूपमें हो बरसात
               और छेड़े वो दिलकी बात
          मेरा जहाँ है तू, तूही मेरी आरजू
जाने क्यूँ ऐसा होता है..

जाने क्यूँ चलते रहते है..
                चाहतोंके सिलसिले
                और उल्फ़त की महफ़िले
                क्यूँ हो शिकवे गीले
                गर दिल से दिल हो मिले
          यूँ ही हमसफर के साथ, लिए हाथोंमें हाथ
जाने क्यूँ चलते रहते है..


१९ फेब्रुवारी, २०१५

मीलों नही..

मीलों नही आहटें कोई, बस तनहाई का आलम है
यूँ तो मुसल्सल चलते रहें, पलकोंके किनारे मगर नम है

ज़िंदगियाँ आशिकानी थी वो, एक धागेमें जो पिरोयी थी
ज़िंदगी आजभी कायम है, साँसों की हरारत ज़रा कम है

दिन आँखोमें गुजर गये, रातें ख्वाबोंमें बीत गयी
कुछ यादें सरहाने रह गयी, लम्होंके सिरे मगर गुम है

उस वक़्त की छीटें पड़ती है, आजभी जब दिल पे कभी
कुछ पल वो शोले बुझते जिनमे, बूँद बूँद पिघले हम है

यही सफ़रकी फ़ितरत है, सब अपनी अपनी राह चुने
दो जहाँ तक़सीम हुए जब, उस मोड़पे आने का गम है


०२ फेब्रुवारी, २०१५

Translation: Sakhi mand jhalya

Original Lyrics: 
सखी मंद झाल्या..

सखी मंद झाल्या तारका, आता तरी येशील का?

मधुरात्र मन्थर देखणी, आली तशी गेली सुनी
हा प्रहर अंतिम राहिला, त्या अर्थ तू देशील का?

हृदयात आहे प्रीत अन् ओठांत आहे गीतही
ते प्रेमगाणे छेडणारा तो सूर तू होशील का?

जे जे हवेसे जीवनी ते सर्व आहे लाभले
तरीही उरे काही उणे तू पूर्तता होशील का?

बोलावल्यावाचूनही मृत्यू जरी आला इथे
थांबेल तोही पळभरी पण सांग तू येशील का?


English version:
The gleaming stars..

The gleaming stars of night have paled, my dear
Yet you aren't in sight, will you ever be with me here?

Charming night of melancholy, has grown & receded slowly
To its last moments remaining, will you give a new meaning?

My heart brims with love & lips croon a sweet song
Stringing together dulcet tones, will you be my melodious twang?

I own everything ever desired by a soul,
Yet, a part of me feels missing, will you be the one who makes me whole?

Even if the angel of death comes calling on me,
He''ll hold on for a moment, But.. will you ever be here with me?

१४ जानेवारी, २०१५

मन

अनूठी एक पहेली है
सुलझाए न सुलझती है
मन समझ नही पाता है,
मन क्या चीज़ होती है..

                                       जलता हुआ अंगारा है
                                       मन नदिया की धारा है
                                       कभी एक जगमग तारा है
                                       कभी घना अंधियारा है
                                       लाख बुझाओ न बुझनेवाली
                                       ये दिये की बाती है..

खुशियोंका त्योहार है
मन, रंगोंकी बौछार है
ऊँचे गगनमें लहराता मन
कतरेमेंभी समाता है
ये पलभरकी है खामोशी जो
दो सुरोंको मिलाती है..

                                       आँखोसे छलकता आँसू है
                                       होठोंकी दबी मुस्कान है
                                       मान है, अभिमान है
                                       मन अस्तित्व की पहचान है
                                       है साथमें चलती परछाई
                                       ये कभी हाथ ना आती है..

अनूठी एक पहेली है
सुलझाए न सुलझती है
मन समझ नही पाता है
मन क्या चीज़ होती है..