जाने क्यूँ ऐसा लगता है..
तू है कही आसपास
तू भी करे मेरी तलाश
मेरी सूनी आँखोंकी प्यास
बुझाए तेरी बस एक साँस
मेरे करीब आकर, मुझे गले लगाकर
जाने क्यूँ ऐसा लगता है..
जाने क्यूँ ऐसा होता है..
के गुनगुनाए रात
लिए तारोँकी सौगात
धूपमें हो बरसात
और छेड़े वो दिलकी बात
मेरा जहाँ है तू, तूही मेरी आरजू
जाने क्यूँ ऐसा होता है..
जाने क्यूँ चलते रहते है..
चाहतोंके सिलसिले
और उल्फ़त की महफ़िले
क्यूँ हो शिकवे गीले
गर दिल से दिल हो मिले
यूँ ही हमसफर के साथ, लिए हाथोंमें हाथ
जाने क्यूँ चलते रहते है..
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