अनूठी एक पहेली है
सुलझाए न सुलझती है
मन समझ नही पाता है,
मन क्या चीज़ होती है..
कभी घना अंधियारा है
लाख बुझाओ न बुझनेवाली
ये दिये की बाती है..
खुशियोंका त्योहार है
मन, रंगोंकी बौछार है
ऊँचे गगनमें लहराता मन
कतरेमेंभी समाता है
होठोंकी दबी मुस्कान है
मान है, अभिमान है
मन अस्तित्व की पहचान है
है साथमें चलती परछाई
ये कभी हाथ ना आती है..
अनूठी एक पहेली है
सुलझाए न सुलझती है
मन समझ नही पाता है
मन क्या चीज़ होती है..
सुलझाए न सुलझती है
मन समझ नही पाता है,
मन क्या चीज़ होती है..
जलता हुआ अंगारा है
मन नदिया की धारा है
कभी एक जगमग तारा हैमन नदिया की धारा है
कभी घना अंधियारा है
लाख बुझाओ न बुझनेवाली
ये दिये की बाती है..
खुशियोंका त्योहार है
मन, रंगोंकी बौछार है
ऊँचे गगनमें लहराता मन
कतरेमेंभी समाता है
ये पलभरकी है खामोशी जो
दो सुरोंको मिलाती है..
आँखोसे छलकता आँसू हैदो सुरोंको मिलाती है..
होठोंकी दबी मुस्कान है
मान है, अभिमान है
मन अस्तित्व की पहचान है
है साथमें चलती परछाई
ये कभी हाथ ना आती है..
अनूठी एक पहेली है
सुलझाए न सुलझती है
मन समझ नही पाता है
मन क्या चीज़ होती है..