एक ऐसी शाम की तलाश है..
जब दिनकी रोशनी शरमाके सिमटने लगे,
और हलके हलके बढ़ने लगे अंधेरेकी गहराई
सारे माहौल में सुनाई दे खामोशी की सदा,
और नन्हासा एक चराग़ धीमेसे जलने लगे..
एक ऐसी शाम की तलाश है, जिस वक़्त,
जिंदगी उस चराग़की जलती हुई तिलस्मी लौ बन जाए..
एक ऐसी लौ की तलाश है..
एक ऐसी लौ की तलाश है..
जो जीती है मद्धम साँसों में,
पर डटकर सामना करती है आँधियों का
जिसकी सच्ची आँच की कशिशसे
परवाने खींचके चले आते है फ़ना होने के लिए
एक ऐसी लौ की तलाश है, जिससे,
धुंधली सी सड़कपर भी मंज़िल साफ़ दिखाई दे..
एक ऐसी मंज़िल की तलाश है..
एक ऐसी मंज़िल की तलाश है..
जो चलने पे मजबूर करे
हर एक राह जहाँ आके जुड़ जाए,
और जोश दिलाए ज़ुर्रत करनेके लिए,
ताक़ि उस तक पहुँचनेक़ा इक़रार कर बैठे
एक ऐसी मंज़िल की तलाश है, जो,
असल में घर आने का एहसास दिलाए..
एक ऐसे घर की तलाश है..
एक ऐसे घर की तलाश है..
जो कभी ख़्वाबों में देखा था,
और रखा था दुनिया से दूर, कहीं छुपाके
जिसका अरमान लिए जीते थे इस उम्मीद पे
की पनाह मिलेगी वहाँ एक आवारा रूह को
एक ऐसे घर की तलाश है, जहाँ,
ढलती हुई हर शाम की फलक रंगीन हो ..
एक ऐसी शाम की तलाश है..
एक ऐसी शाम की तलाश है..
जब दिनकी रोशनी शरमाके सिमटने लगे,
और हलके हलके बढ़ने लगे अंधेरेकी गहराई
सारे माहौल में सुनाई दे खामोशी की सदा,
और नन्हासा एक चराग़ धीमेसे जलने लगे..
एक ऐसी शाम की तलाश है, जिस वक़्त,
जिंदगी उस चराग़की जलती हुई तिलस्मी लौ बन जाए..
एक ऐसी लौ की तलाश है..
एक ऐसी लौ की तलाश है..
जो जीती है मद्धम साँसों में,
पर डटकर सामना करती है आँधियों का
जिसकी सच्ची आँच की कशिशसे
परवाने खींचके चले आते है फ़ना होने के लिए
एक ऐसी लौ की तलाश है, जिससे,
धुंधली सी सड़कपर भी मंज़िल साफ़ दिखाई दे..
एक ऐसी मंज़िल की तलाश है..
एक ऐसी मंज़िल की तलाश है..
जो चलने पे मजबूर करे
हर एक राह जहाँ आके जुड़ जाए,
और जोश दिलाए ज़ुर्रत करनेके लिए,
ताक़ि उस तक पहुँचनेक़ा इक़रार कर बैठे
एक ऐसी मंज़िल की तलाश है, जो,
असल में घर आने का एहसास दिलाए..
एक ऐसे घर की तलाश है..
एक ऐसे घर की तलाश है..
जो कभी ख़्वाबों में देखा था,
और रखा था दुनिया से दूर, कहीं छुपाके
जिसका अरमान लिए जीते थे इस उम्मीद पे
की पनाह मिलेगी वहाँ एक आवारा रूह को
एक ऐसे घर की तलाश है, जहाँ,
ढलती हुई हर शाम की फलक रंगीन हो ..
एक ऐसी शाम की तलाश है..
एक ऐसी शाम की तलाश है..